पुरी : 24 मार्च 2023 जगन्नाथ पुरी मंदिर में चूहों ने आतंक मचा रखा है. मंदिर प्रबंधन की रातों की नींद हराम हो रखी है. हाल ही में ये चूहे भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की पोशाक चबा गए थे. अब इस बात की आशंका जताई जा रही है कि ये लकड़ी से बनी देवताओं की मुर्तियों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है, सोमवार को मंदिर में खसपदा अनुष्ठान शुरू होने वाला था. मुख्य अनुष्ठान करने वाले दैतापति सेवकों ने पाया कि चूहों ने देवताओं के कपड़े खराब कर दिए थे, माला चबा ली थी और रत्न सिंहासन पर चढ़ाया गया प्रसाद खा लिया था. मंदिर के गर्भगृह में भी चूहों ने गंदगी फैला रखी थी. मंदिर प्रशासन ने हाल ही में चूहों, बंदरों और कबूतरों से निपटने के लिए एक अलग रास्ता अपनाया था. उन्होंने एक भक्त द्वारा दान की गई एक मशीन स्थापित की थी, जो चूहों, बंदरों और कबूतरों को भगाने के लिए ध्वनि का उपयोग करती थी. हालांकि, सेवादारों ने कहा कि ध्वनि के कारण भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की नींद में खलल पड़ता है, जिसके बाद इस मशीन को हटा दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर के वरिष्ठ सेवादार विनायक दशमोहापात्र, जो सोमवार के अनुष्ठान का हिस्सा थे, उन्होंने बताया कि देवताओं के श्री अंग (पवित्र लकड़ी के शरीर) को कोई नुकसान नहीं हुआ, हालांकि चूहों ने पोशाक, फूल और तुलसी के पत्तों को नुकसान पहुंचाया. आमतौर पर रात के समय मंदिर बंद होने के बाद चूहों का आतंक बढ़ जाता है, जो आम तौर पर पवित्र वेदी के ऊपर छिपते हैं, नीचे चढ़ते हैं और हंगामा करते हैं. सोमवार के अनुष्ठान में मौजूद एक अन्य सेवक रामचंद्र दशमोहापात्रा ने कहा, ‘हमने मंदिर प्रशासन से इस खतरे को रोकने के लिए तत्काल उपाय करने का अनुरोध किया है.’ देवताओं के लकड़ी के शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों के बारे में सेवादारों की चिंता के जवाब में, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि वे निवारक कदम उठा रहे हैं. एसजेटीए के एक अधिकारी ने कहा, ’देवताओं को नियमित रूप से चंदन और कपूर से पॉलिश किया जा रहा है.’ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के हस्तक्षेप का आह्वान करते हुए, जो ओडिशा के इस सबसे लोकप्रिय धार्मिक स्थल का रखरखाव और देखभाल करता है, दशमोहापात्रा ने कहा कि मंदिर प्रशासन और एएसआई द्वारा समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है. ताकि वार्षिक रथ यात्रा शुरू होने से पहले मंदिर को चूहों से मुक्त किया जा सके. इस नौ दिवसीय रथ यात्रा के दौरान भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को उनकी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है. पुरी मंदिर में चूहे का खतरा कोई नई बात नहीं है. हालांकि, कोरोना महामारी के दौरान लगभग 2 वर्षों तक मंदिर भक्तों के लिए बंद था, इस दौरान चूहों की आबादी में काफी वृद्धि हुई है. जगन्नाथ पुरी मंदिर की अपनी एक नियम पुस्तिका है, जिसे रिकॉर्ड ऑफ राइट्स कहते हैं. इस रूल बुक में अनुष्ठानों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का वर्णन किया गया है. इसमें चूहों, बंदरों और कबूतरों जैसे अन्य प्राणियों के खतरे से निपटने के बारे में भी नियम हैं. मंदिर की नियम पुस्तिका चूहों को मारने पर रोक लगाती है, इसलिए प्रशासन उन्हें जिंदा पकड़ने के लिए जाल बिछाता है और फिर उन्हें मंदिर परिसर के बाहर छोड़ देता है.