छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले के पंखाजूर में कुछ दिन पहले अपना महंगा मोबाइल फोन डैम से निकालने के लिए एक फ़ूड इंस्पेक्टर ने डैम का सारा पानी बहा दिया था. अभी यह मामला ठंडा हुआ नहीं था कि ऐसा ही एक और मामला छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले से सामने आया है. जशपुर ज़िले के फारेस्ट सेंचुरी एरिया में भी एक बांध का हज़ारों लीटर पानी बहा दिया गया है. ये बांध सेंचुरी एरिया के जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के लिए बनाया गया था. बांध का पानी बहाए जाने से इस फारेस्ट एरिया में न केवल पानी की क़िल्लत होगी बल्कि अपनी प्यास बुझाने के लिए इस बांध पर निर्भर जंगली जानवर अब इंसानी बस्ती की ओर रुख करेंगे जिससे आस-पास की बस्तियों में वन्य प्राणियों के आने का ख़तरा भी मंडराने लगा है. 

जशपुर : मछली मारने के चक्कर में ग्रामीणों ने डेम में जमा 6 फीट से अधिक पानी को गेट खोल कर बहा दिया। डेम की तस्वीर इंटरनेट मीडिया में तेजी से वायरल हो रही है। इस डेम का निर्माण बादलखोल अभयारण्‍य क्षेत्र में जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के लिए किया गया था। इंटरनेट मीडिया में वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की हो रही कटु आलोचना के बाद विभाग मामले की जांच की बात कह रहा है।

मामला जिले के बादलखोल अभयारण्‍य क्षेत्र का है। जानकारी के अनुसार,बादलखोल अभयारण्‍य क्षेत्र में स्थित गायलुंगा के आश्रित बस्ती लुम्बालता में अभयारण्‍य की ओर से एक डेम का निर्माण किया गया है। इस डेम में जमा पानी का उपयोग,अभ्यारण्य में रहने वाले जंगली जानवरों द्वारा किया जाता है।

सूखे डेम की तस्‍वीर हुई वायरल

दरअसल इस सेंचुरी में जंगली जानवरों के पानी के लिए एक डैम बनवाया गया था जिस डैम में फ़िलहाल 300 मीटर लंबाई तक 6 फ़ीट तक पानी भरा हुआ था जिसमें अक्सर मवेशी और जंगली जानवर पानी पिया करते थे लेकिन कुछ शरारती तत्वों ने इस महत्वपूर्ण डैम का लाखों लीटर पानी बहा दिया लुम्बालता का यह डेम मंगलवार को उस समय चर्चा में आया जब क्षेत्र के कुछ लोगों ने सूखे हुए डेम की तस्वीर इंटरनेट मीडिया में वायरल करते हुए दावा किया गया कि मछली मारने के चक्कर में स्थानीय ग्रामीणों ने इसमें जमा 6 फीट से अधिक पानी का गेट खोल कर बहा दिया।

दावा किया जा रहा है कि डेम में पानी जमा करने के लिए,लकड़ी का गेट लगाया गया है। इसी गेट को खोल कर पानी बहा दिया गया है। तस्वीर वायरल होने के बाद बादलखोल अभयारण्‍य के एसडीओ विजय भूषण ने मामले की जांच की बात कही है।

बांकी नदी में जमा पानी को भी बहा दिया गया था

उल्लेखनीय है कि इस घटना से पहले जिला मुख्यालय जशपुर में स्थित बांकी नदी में जमा पानी को भी इसी तरह बहा कर बर्बाद करने का मामला सामने आया था, लेकिन इस मामले में अब तक न तो कोई जांच हुई है और ना ही कार्रवाई।

एलीफेंट कारिडोर में शामिल है अभ्यारण्य
160 किलोमीटर क्षेत्रफल में विस्तृत बादलखोल अभयारण्‍य केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी एलीफेंट कारिडोर परियोजना में शामिल है। सरकार की योजना के अनुसार इस क्षेत्र में हाथियों के रहवास के अनुकूल वातावरण के साथ चारा पानी की सुविधा विकसित कर हाथियों को रहने के लिए सुरक्षित रास्ता विकसित करना है। बादलखोल के साथ तमोर पिंगल और लेमरू अभ्यारण्य को भी शामिल किया गया है, लेकिन परियोजना के क्रियान्वयन में हो रही लेट लतीफी से इसके अस्तित्व पर सवाल उठ रहा है।

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