रायपुर : 28 मई 2023 रविवार को देश की नई संसद का उद्घाटन किया गया। इस मौके पर छत्तीसगढ़ के भाजपा सांसद संतोष पांडेय, सरोज पांडेय, अरुण साव, सुनील सोनी, गोमती साय और मोहन मंडावी नजर आए। नई संसद के उद्घाटन पर ये सभी तस्वीरों में बेहद उत्साहित दिखे। सभी नए भव्य संसद भवन के हर कोने में पहुंचकर तस्वीरें क्लिक करते दिखे।

रायपुर के सांसद सुनील सोनी ने ये तस्वीरें अपने मोबाइल फोन से क्लिक की जब PM मोदी नए संसद में सभा काे सम्बोधित कर रहे थे। सोनी के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और बिलासपुर से सांसद अरुण साव भी साथ दिखे।

राजनांदगांव के साथ सांसद संतोष पांडेय ने नई संसद भवन में दाखिल होने से पहले सीढ़ियों पर माथा टेका। कुछ साल पहले पीएम मोदी की भी पुराने संसद के बाहर ऐसी तस्वीर आई थी।

संतोष पांडेय ने कहा- 140 करोड़ भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। भारत के सपूत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश गर्व करता है। देश उनका कर्तज्ञ रहेगा। मेरे देश की माटी खुशबू है नए संसद भवन में, लोकतंत्र के मंदिर को प्रणाम करता हूं। हमें फक्र है नरेंद्र माेदी पर जो गुलामी की दास्ता से आगे बढ़कर नए संसद भवन का निर्माण किया गया।

रविवार को सावरकर जयंती भी रही, प्रदेश के भाजपा नेताओं ने नई संसद में वीर सावरकर की फोटो पर हार चढ़ाकर उन्हें नमन किया। सांसद अरुण साव ने कहा- पूरे देश के लिए यह गर्व का पल है, उज्ज्वल हमारा आने वाला कल है। आज प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्र गौरव का नव अलंकार, नव संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया।

साव ने आगे कहा- अपने विचारों से नए भारत को गढ़ने में अहम भूमिका निभाने वाले महान क्रांतिकारी,समर्पित समाज सुधारक विनायक दामोदर सावरकर जी की जयंती पर कोटिश: नमन करता हूं, मातृभूमि की रक्षा एवं स्वतंत्रता के लिए किया गया उनका योगदान सदैव प्रेरणादायक रहेगा। नया संसद भवन, यहां होने वाला हर निर्णय भारत के उज्ज्वल भविष्य का निर्णय होगा… एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना से बने नए संसद भवन कर्तव्य पथ पर चलने वाला संसद भवन होगा, इस लोकतंत्र के मंदिर के उद्घाटन के अवसर का साक्षी बनना मेरे लिये गर्व की बात है।

सरोज पांडे ने इस मौके पर कहा- नया संसद-भवन भारत की शताब्दियों में पुरानी लोकतांत्रिक यात्रा का गौरवशाली कीर्त्तिस्तंभ है। भारत की विशालता,भव्यता,आधुनिकता को संजोये एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना से बुने नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर का साक्षी बनना मेरे लिये गर्व की बात है।

कांकेर सांसद मोहन मंडावी ने कहा- हर भारतीयों की तरह मुझे भी मेरे हिंदुस्तान पर गर्व है। भारत के नवीन संसद भवन के उद्घाटन के ऐतिहासिक पल के साक्षी रहे आज सुबह से ही हवन पूजन और वैदिक मंत्रोचार के बीच प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी ने नवीन संसद भवन का उद्घाटन किया। यह नवीन संसद भवन 140 करोड़ जनता के स्वाभिमान का प्रतीक है ।यह माननीय प्रधानमंत्री के दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम रहा है।

तस्वीर में दिख रहा दंड, सेंगोल है। भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू को पीएम बनने के बाद इसे नेहरू को दिया था। ये एक तरह से सत्ता सौंपने का प्रतीक रहा। इस सेरेमनी के बाद ये राजदंड इलाहाबाद संग्रहालय में रख दिया गया। पीएम मोदी भी इससे प्रभावित हुए। उन्होंने इसकी गहन जांच के आदेश दिए। इसके बाद तय किया गया कि इसे नई संसद में स्पीकर की कुर्सी के पास रखा जाएगा। नई संसद के उद्घाटन के मौके पर इसे पूरे विधि-विधान से पीएम मोदी को सौंपा गया।

इसे छत्तीसगढ़ के सांसदों ने करीब से जाकर प्रणाम किया। ये तमिल परंपरा में इस्तेमाल किया जाता था, इसे साउथ में ही तब तैयार किया गया था। इसलिए इसकी स्थापना में तमिलनाडु के कई अधिमानों के प्रणेता उपस्थित रहे। उन्होंने बाकायदा इसका अनुष्ठान किया कोलारु पदिगम गाया। सेंगोल को गंगा जल से शुद्ध किया गया और एक पवित्र प्रतीक के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा गया।

नई संसद की खासियत

अभी लोकसभा में 590 लोगों की सीटिंग कैपेसिटी है। नई लोकसभा में 888 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के लिए बैठने का इंतजाम है।

अभी राज्यसभा में 280 की सीटिंग कैपेसिटी है। नई राज्यसभा में 384 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे।

लोकसभा में इतनी जगह होगी की दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे। संसद के हर अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफिस हैं। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए भी हाईटेक ऑफिस की सुविधा है। कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक है। कमेटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों में हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं। कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था है। इसकी फ्लोरिंग त्रिपुरा के बांस से की गई है। कालीन मिर्जापुर का है। लाल-सफेद सैंड स्टोन राजस्थान के सरमथुरा का है।

निर्माण के लिए रेत हरियाणा के चरखी दादरी से और भवन के लिए सागौन की लकड़ी नागपुर से मंगाई गई है। भवन के लिए केसरिया हरा पत्थर उदयपुर, लाल ग्रेनाइट अजमेर के पास लाखा और सफेद संगमरमर राजस्थान के ही अंबाजी से मंगवाया गया है। लोकसभा और राज्यसभा की फाल्स सीलिंग में लगाई गई स्टील की संरचना दमन-दीव से मंगाई गई है। संसद में लगा फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया। पत्थर की जाली का काम राजस्थान के राजनगर और नोएडा से करवाया गया। संसद के बाहर लगा अशोक चक्र इंदौर का है। प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से मंगवाई गई।

लोकसभा-राज्यसभा की विशाल दीवार और संसद के बाहर लगा अशोक चक्र इंदौर से मंगाया गया है। पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों ने किया है। पत्थर राजस्थान के कोटपूतली से लाए गए। फ्लाई ऐश ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गईं, जबकि पीतल के काम और सीमेंट के बने-बनाए ट्रेंच अहमदाबाद से लाए गए।

Spread the love