श्रीहरिकोटा : 18 अगस्त 2023 मिशन चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर अब 113 x 157 Km की कक्षा में आ गया है। यानी अब उसकी चंद्रमा से सबसे कम दूरी 113 Km और सबसे ज्यादा दूरी 157 Km है। इसरो ने डीबूस्टिंग के जरिए चंद्रयान की कक्षा घटाई है। डीबूस्टिंग यानी स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार को धीमी करना।
Proud Moment for all Indians 🇮🇳
— Mahant Adityanath 2.0🦁 (@MahantYogiG) August 18, 2023
The Lander Module (LM) health is normal. LM successfully underwent a deboosting operation that reduced its orbit to 113 km x 157 km. pic.twitter.com/Zt90IDI6Hy
इसरो अब डीबूस्टिंग का दूसरा ऑपरेशन 20 अगस्त को रात 2 बजे परफॉर्म करेगा। इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 30 किमी और अधिकतम दूरी 100 किलोमीटर रह जाएगी। सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा।
लैंडर ने चंद्रमा की खींची तस्वीरें..
इससे पहले 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया था। सेपरेशन के बाद लैंडर ने प्रोपल्शन मॉड्यूल से कहा- ‘थैक्स फॉर द राइड मेट’। इस दौरान लैंडर पर लगे कैमरे ने प्रोपल्शन मॉड्यूल की फोटो के साथ चंद्रमा की भी तस्वीरें खींची।
4 जरूरी सवालों के जवाब…
डीबूस्टिंग कैसे पूरी होगी: चंद्रयान के लैंडर के चार पैरों के पास लगे 800 न्यूटन शक्ति के 1-1 थ्रस्टर की बदौलत संभव होगा। दो-दो थ्रस्टर 2 चरणों में काम करेंगे।
लैंडिंग में कितनी मुश्किलें: 30 किमी की ऊंचाई से लैंडिंग प्रोसेस शुरू होगी। लैंडर की रफ्तार को 1680 मीटर प्रति सेकेंड से 2 मीटर प्रति सेकेंड पर लानी होगी।
23 अगस्त को ही लैंडिंग क्यों: लैंडर-रोवर दोनों ही पावर जेनरेट करने के लिए सोलर पैनल यूज करेंगे। अभी चंद्रमा पर रात है और 23 तारीख को सूर्योदय होगा।
च्रंद्रयान-3 क्या काम करेगा: प्रोपल्शन मॉड्यूल धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। लैंडर-रोवर सतह पर पानी की खोज सहित अन्य प्रयोग करेंगे।
अब तक का सफर चंद्रयान-3
1. पृथ्वी से उसकी कक्षा तक का सफर
- 14 जुलाई को चंद्रयान पृथ्वी की 170 km x 36,500 km की ऑर्बिट में छोड़ा।
- 15 जुलाई को पहली बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,762 km x 173 km की गई।
- 17 जुलाई को दूसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,603 km x 226 km की गई।
- 18 जुलाई को तीसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 51,400 km x 228 km की गई।
- 20 जुलाई को चौथी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 71,351 x 233 Km की गई।
- 25 जुलाई को 5वीं बार ऑर्बिट बढ़ाकर 1,27,603 km x 236 km की गई।
2. पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा का सफर
- 31 जुलाई और 1 अगस्त की रात चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर बढ़ गया।
- 5 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की 164 Km x 18074 Km की कक्षा में प्रवेश किया।
3. चंद्रमा की कक्षा से लैंडिंग तक का सफर
- 6 अगस्त को चंद्रयान की ऑर्बिट पहली बार घटाकर 170 Km x 4313 Km की गई।
- 9 अगस्त को चंद्रयान की ऑर्बिट दूसरी बार घटाकर 174 km x 1437 km की गई।
- 14 अगस्त को चंद्रयान की तीसरी बार ऑर्बिट घटाकर 150 Km x 177 Km की गई।
- 16 अगस्त को चंद्रयान 153 Km X 163 Km की करीब-करीब गोलाकार कक्षा में आ गया।
- 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया।
- 18 अगस्त को विक्रम लैंडर डीबूस्टिंग प्रोसेस से 113 x 157 Km की कक्षा में आ गया।