दिल्ली : मकर संक्रांति इस बार दो दिन मनाई जाएगी। पहले दिन 14 जनवरी को पतंगबाजी उत्सव मनाया जाएगा, जबकि अगले दिन यानी 15 जनवरी को सुकर्मा योग में संक्रांति का पुण्य दान किया जाएगा। ज्योतिषियों ने बताया कि 15 जनवरी को मकर संक्रांति (2023) से ही देवताओं की सुबह होगी। यानी देवताओं के दिन की शुरुआत होगी। इस दिन 11 घंटे का पुण्यकाल रहेगा जो सुबह 5.47 बजे से शुरू होगा। गौरतलब है कि सूर्य अगले रविवार से उत्तरायण हो रहे हैं। मान्यता है कि सौरमंडल का एक वर्ष देवलोक का एक दिन होता है।

इस हिसाब से 6 माह देवताओं की रात तो 6 माह दिन होता है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति होती है। मकर संक्रांति का दिन देवताओं का प्रभातकाल माना गया है, यानी की देवलोक की सुबह होती है। इसलिए इस अवसर पर किया गया दान 100 गुना महत्व माना गया है। इसी दिन से मलमास समाप्त होकर शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। यानी 15 के बाद वैवाहिक आयोजन व मांगलिक कार्य होली तक हो सकेंगे।ग्रहों के राजा सूर्य 14 तारीख की रात 8.57 बजे मकर राशि में गोचर करेंगे। इसकी उदियात तिथि रविवार 15 को प्राप्त होगी। ऐसे में संक्रांति का दानपुण्य रविवार को ही किया जाएगा। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रविवार को चित्रा नक्षत्र सुकर्मा योग व बालव करण तथा तुला राशि के चंद्रमा की साक्षी में मकर संक्रांति का पुण्य काल होगा क्योंकि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 को रात 8.57 बजे पर होने से पर्व काल अगले दिन माना जाता है।
मकर संक्रांति पर आगरा के बाजारों में पतंग और गजक की दुकानें सज गई हैं। गरीबों को कंबल, ब्राह्मणों को खिचड़ी एवं तिल गुड़ का पात्र भरकर दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है |

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